मुलायम सिंह की मैनपुरी में नई सियासी बिसात बिछ चुकी है। बसपा-कांग्रेस के दर्शक दीर्घा में बैठने के ऐलान के बाद भाजपा और सपा इस सीट पर आमने-सामने हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने चुनौती इसलिए बड़ी है क्योंकि उन्हें पिता की विरासत बचाने के साथ समाजवादी दुर्ग सुरक्षित रखना है। पत्नी डिंपल को लोकसभा भी पहुंचाना है। वहीं भाजपा ने रघुराज शाक्य को प्रत्याशी बनाकर पूरे दमखम से चुनौती देने के इरादे जता दिए हैं। पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को जिलाध्यक्ष बनाने का सपाई दांव भी भाजपा को विचलित न कर सका।
मैनपुरी की सियासी जंग इस बार बेहद दिलचस्प होगी। यूं तो वर्ष 2019 में भी मैनपुरी में सपा और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई थी। मगर इस बार परिस्थिति थोड़ी बदली है। तब मुलायम की साइकिल को माया का हाथी भी दिल्ली की ओर खींचने में जुटा था। शिवपाल यादव भी लक्ष्मण की भूमिका में थे। तब मुलायम ने भाजपा के प्रेमपाल शाक्य को तकरीबन 94 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। अब भाजपा की कोशिश गैर यादव और गैर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने की है। सीएम योगी भी रघुराज को पसंद करते हैं।
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